बुधवार, 28 जनवरी 2009
सफलता की क्या परिभाषा है|
हर व्यक्ति सफलता चाहता है परन्तु सफलता है क्या सफलता की हर व्यक्ति परिभाषा अलग अलग देता है कोई कहता है पैसा कोई कहता है ऐशोआराम कोई कहता है शान्ति तो कोई कहता है नाम परन्तु मेरा मानना है की सफलता की कोई विशिस्थ परिभाषा नही होती है हर समय परिभाषा बदल जाती है क्या इस जीवन में कोई सफल है हर व्यक्ति कही न कही रुका हुआ सोचता है की काश मेरे पास ये होता काश मेरे पास वो होता सफलता का कोई पैमाना नही होता है और न ही कोई मापदंड अधिकतर लोग तो येही कहते है की जब जो हो जाए वो सही परन्तु मेरा मानना है की बिना लक्ष्य के कोई भी काम करना सफलता नही है वो तो ऊपर वाले ने आपको गिफ्ट दे दी है बहुत वृहद विषय है पर vistrut charcha की jay तो कुछ बात होगी muze आपके विचारो की जरुरत है ताकि हम आगे चल सके
मंगलवार, 27 जनवरी 2009
यह सोचने का समय है
indoneshiya में फतवा जरी कर कहा है की मुस्लमान योग नही करे क्या स्वास्थ्य से बढ़कर कुछ है आपका शरीर अच्छा है तो सब कुछ अच्छा है जहा तक ॐ शब्द है उसे हिंदू मंत्र से जोड़ा ja रहा है परन्तु में मानता हु की यह सब बकवास है पहला सुख निरोगी काया आपको लगता है की योग से जीवन सुधर सकता है तो क्यो नही योग करे जहा तक ॐ शब्द का सवाल है यह वैज्ञानिक रूप से भी साबित हो चुका है की इस शब्द में ताकत है में इतना तो नही जानता की मंत्रो की कितनी उपयोगिता है पर मंत्रो की ताकत तो होती है चाहे वह हिंदू हो मुस्लिम हो सिख हो या ईसाई हो अतएव धर्मं को स्वस्थ्य से जोड़ा जाना कितना सही है शरीर अच्छा होगा तो उपरवाले की इबादत होगी नही तो सिर्फ़ शिकायत होगी। हे इश्वर बचाओ इन मानसिकता से हिंदू मुस्लिम सिख इसाई या कोई और आज इसलिए एक दुसरे से मिलजुल कर नही रह रहे है क्योकि प्रथ्वी से बाहर की कोई शक्ति हम पर हावी नही हुई है नही तो क्या हम ये कहेंगे कीपहले हमारे भाई को मारो हमें इंसान कोम बनाना होगी तभी हम आगे बढ़ सकते है हमें अगला पड़ाव चाँद और मंगल पर डालना है बेकार की बातो को छोड़कर क्रेअतिविटी पर ध्यान दे तो अच्छा है
धन्यवाद्
धन्यवाद्
रविवार, 25 जनवरी 2009
इसी का नाम जिन्दगी hai
हम अपने नित्य कार्यो में इतने व्यस्त हो जाते है कि हम अपने बारे में सोच ही नही पाते है और जब आकलन का समय आता है तब तक समय निकल चुका होता है मेरा यह ब्लॉग अभी शुरुआती दौर में है पर मै यह दावे के साथ कह सकता हू की इसकी गहरे में बहुत ही आनंद आने वाला है
धन्यवाद्
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
दोस्तों आज २६ जनवरी है ६० वा गणतंत्र मन रहे है हम यह दिन है अपने आप को कानून से बंधना और अपने आप को सम्हालना इसीलिए यह त्यौहार मनाया जा रहा है अब जरुरी है की हम अपने आप का आकलन करे और सोचे की हम क्या थे क्या है और क्या होगे छोटी से छोटी भूल हमे कई वर्षो तक पीछे छोड़ सकती है वैसे ही छोटी छोटी सावधानी हमें कई गुना आगे ले जा सकती है सिर्फ़ फेसला करना है तो हमें सोचना है तो हमें क्या हम परिस्थितियों के मोहताज हो सकते है हम परिस्थिति को दोषी ठहरा सकते है और माना की हमने दोषी ठहरा भी दिया तो हमें दूसरा मौका तो नही मिल सकता है
यह सोचने का समय है
यह सोचने का समय है
शुक्रवार, 23 जनवरी 2009
यह सोचने का समय है|
जैसा की मैंने कल लिखा था की यह मेरी शुरुआत है आज हम थोडी सी विस्तृत चर्चा करेंगे की आखिर क्यों हमें उदासी आती है क्यों हम चलते चलते ठहर जाते है ऐसा क्या है की यह सब अचानक हो जाता है जिस चीज के लिए हम दोड़ते है वह हमें नही मिल पति और जब हम उसकी आशा छोड़ देते है तब वह आने लगती है और जैसे ही वह आने लगती है हम पुनः उसके पीछे भागते है और वह फिर मुश्किल लगने लगती है आखिर क्या कारण है हमने जो सपने देखे होते है जो अरमान हमारे होते है वे बड़ी मुश्किल से पुरे होते है जो कम हमरे लिए मुश्किल होता है वाही किसी के लिए आसन हो जाता है और हमारे लिए असं काम किसी के लिए मुश्किल होता है
कुछ प्रश्न है जो आज के लिए है कल हम कुछ और चर्चा करेंगे
धन्यवाद
कुछ प्रश्न है जो आज के लिए है कल हम कुछ और चर्चा करेंगे
धन्यवाद
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