हे माँ तुझे याद कर आज आँखों से आंसू आ रहे है
हे माँ किस गुनाह की सजा है जो मुझे मिल रही है
में समझता हु की दुरी तुझे भी सता रही होगी
जो दर्द मुझे हो रहा है तुझे भी बता रही होगी
मैंने देखा है तुझे मेरे लिए रोते हुए जब में बीमार हुआ
मैंने जाना है तुझे दुआ मांगते हुए जब में लाचार हुआ
चल तो सकता नही था तुने ही गोद में उठा कर रखा
पेरों की ताकत के लिए मालिश कर मुझे खड़ा कर देखा
था में शरीर से कमजोर तो अपने शरीर से लगा कर रखा
न बोल पाता तो दिल की बात तुने ही तो सुनी थी
तोतली आवाज शायद पहली बार तेरे कान में दी थी
हाथ पकड़ कर तुने ही अ आ लिखना बताया
स्कूल जाने से डरता था ये डर तुने ही हटाया
हाथ जोड़ कर टीचर कहा था मत कुछ कहना ये कमजोर है
ये भी कहा था की दीखता आम है पर ये कुछ और है
कदम कदम पर तुने मुझे थमने की कोशिश की है
मौत के मुह से वापिस लाने वाली भी तू ही है
हे जीवन दायीनी तुझे कोटि कोटि प्रणाम
में समझता हु की तेरी दुरी शरीर से है दिल से नही
चाहे दुनिया की मजबुरिया हमें दूर रखे पर दिल तो दुनिया से अलग है
जब भी मेरा वक्त आएगा माँ में तुझे मिल जाऊंगा
तब बतलाऊंगा की माँ तेरे बिना में कितना अधुरा था
तेरे आर्शीवाद से में कुछ बन जाऊँगा तब में दुनिया को ये बतलाऊंगा की
कोई जब कहेगा की ये उनकी माँ है तब में कहूँगा की में इनका बेटा हु
गुरुवार, 7 मई 2009
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Sanjayji really they know your feeling who is far from mothers
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